अक्तूबर क्रान्ति और कम्युनिस्ट इंटरनेशनल का गठन : एक सिंहावलोकन (OCTOBER KRANTI AUR COMMUNIST-INTERNATIONAL-KA-GATHAN-EK-SINHAWALOKAN
₹150.00
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Pages: 107
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Year: 2019, 1st Ed.
- ISBN : “978-93-87441-36-1”
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Binding: पेपर बेक
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Language: हिंदी
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Publisher: The Marginalised Publication
- Translation: Pooja Singh
Description
एक लम्बे निबन्ध की यह पुस्तिका अक्टूबर क्रान्ति के 100 साल पूरे होने के बाद रूसी क्रांति का एक मूल्यांकन करती है.
हालांकि एक अकेले निबन्ध में इस विषय से न्याय कर पाना संभव नहीं है, लेकिन यहां हमारा प्रमुख प्रयास है सोवियत रूस में मौजूद उत्पादन संबंधों का विश्लेषण करना क्योंकि वह राष्ट्र-राज्यों के समूह में राज्य सत्ता के रूप में उदित हो रहा था। हमारी आलोचना इन पर और उन रिपोर्ट पर केंद्रित है जिन्हें लेनिन ने सीआई कांग्रेस के सत्रों में समर्पित किया। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं: पहला, ‘पूंजीवादी जनवाद और सर्वहारा की तानाशाही’ (1919), दूसरा, ‘अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां और कम्युनिष्ट पार्टियों की भूमिका (1920), तीसरा ‘राष्ट्रीय एवं औपनिवेशिक प्रश्न’ (1920) और चौथा, ‘रूस में राज्य पूंजीवाद’ (1921-1922)। अपनी समीक्षा का दायरा विस्तृत करने के लिए हम लगातार सीआई के उद्भव के दौर में बोल्शेविकवाद की समकालीन आलोचना पर चर्चा करते हैं ताकि पाठकों का ध्यान यूरोप की उन राजनीतिक क्रांतियों की ओर आकर्षित किया जा सके जिनके लिए कामगार वर्ग प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात तैयार हुआ। निबंध के आखिरी हिस्से में हम सीआई की दूसरी कांग्रेस में अंगीकृत औपनिवेशिक थीसिस की समीक्षा करेंगे जिसने उपनिवेशों और अर्ध उपनिवेशों में आजादी की लड़ाई में कम्युनिष्ट-भागीदारी के मार्गदर्शक की भूमिका निभाई।
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