सदन में डी. राजा ( SADAN MEIN D.RAJA) (प्रतिनिधि संसदीय भाषण) (प्रीबुकिंग)

350.00

  • Publisher: The Marginalised Publication
  • Edited by: Rajeev Suman
  • Translated by : Pooja Singh
  • Series Editor: Sanjeev Chandan
  • Pages: 244
  • Year: 2021, 1st Ed.
  • ISBN: “978-81-935616-83-“
  • Binding: paper Back/Hard Bound
  • Price: Rs. 350
  • Hardbound: Price: Rs.600
  • Language: Hindi

Description

यह किताब सीपीआई के महासचिव डी.राजा के संसदीय भाषणों की प्रतिनिधि संचयन है. किताब में शामिल उनका लम्बा साक्षात्कार भारतीय राजनीति का एक दस्तावेज है. डी. राजा के प्रतिनिधि भाषणों की किताब इस प्रकाशन ने हिन्दी और अंग्रेजी में अलग-अलग प्रकाशित की है.

 

एम हामिद अंसारी
पूर्व सभापति, राज्यसभा

मेरे लिए यह प्रसन्नता का विषय है कि श्री डी. राजा के भाषणों व लेखों का संग्रह प्रकाशित हो रहा है. इससे विभिन्न वर्गों के पाठकों को उनके विचार जानने का अवसर मिलेगा.

यह एक सुखद संयोग है कि जिस समय मैं राज्यसभा का सभापति था, लगभग उसी समय श्री राजा सदन के सदस्य थे. अतः मुझे श्री राजा के अधिकांश भाषणों को सुनने का अवसर मिला. बल्कि राज्यसभा में 13 अगस्त 2007 को उनका पहला भाषण, मेरे स्वागत में दिया गया था. मुझे याद है कि श्री राजा ने उस समय कहा था कि राज्यों के सदन के रूप में राज्यसभा की ज़िम्मेदारी न केवल देश की संघीय व्यवस्था और उसकी साँझा संस्कृति को संरक्षित रखने है वरन उसे हितों के टकराव और उनके मेल के बीच से ऐसा रास्ता निकालना है जिससे देश के हितों की रक्षा और संरक्षण हो सके.

सदन में उन्होंने हमेशा कमजोर, हाशियाकृत और शोषित तबकों को स्वर दिया.

 

 

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