सदन में लालू प्रसाद: प्रतिनिधि भाषण, भारत के राजनेता (LALU PRASAD, BHARAT KE RAJNETA)
₹450.00
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Year: 2020 1st Ed.
- ISBN: 978-93-87441-12-5
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Binding: paper Back
- (Hardbound: Price: Rs.950)
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Language: Hindi
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Publisher: The Marginalised Publication
Description
- सदन में लालू प्रसाद: प्रतिनिधि भाषण, मूल्य: 450, पेज: 400
इस किताब के प्रकाशन बारे में लालू प्रसाद ने स्वयं खुशी व्यक्त करते हुए पटना में पिछले दिनों कहा था:
“मुझे खुशी है हाशिये ले समाज से आने वाले नेताओं के विचारों की किताब का प्रकाशन शुरू हुआ है. इस कड़ी में मुझपर भी एक किताब आ रही है. आजादी की लड़ाई में शामिल दबे, कुचले लोगों के लिए, सर्वहारा समाज के लिए, इस वर्ग से आने वाले जो नेता शहीद हुए हैं, आजादी की लड़ाई में भी मर-मिटे हैं, उन्हें इतिहास ने भुला देने का काम किया है. आजादी के बाद भी समाज को बदलने और बराबरी के लिए संघर्ष कर रहे हाशिये के नेतृत्व की उपेक्षा ही हुई है. इस तरह की किताबें इतिहास की खोज के लिए महत्वपूर्ण हैं.
“यह किताब लालू जी के संसदीय भाषणों (वे चारो सदनों में जनप्रतिनिधि रहे हैं.) का संकलन होगी. इसी सीरीज में ‘अली अनवर’, ‘रामदास आठवले’ शीर्षक किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. आगामी किताबें हैं ‘ डी राजा’, ‘शरद यादव’ और ‘लालू प्रसाद’. यह किताब एक ऐसे राजनेता के विचारों की किताब है, जो वर्चस्वशाली जमातों की प्रताड़ना को सहते हुए भी अपने विचारों और प्रतिबद्धता के साथ अडिग है. यही कारण है कि जनता उन्हें प्यार करती है.
लालू प्रसाद की कुछ तो खासियत रही है, जो जनता को, दलितों को, पिछड़ों को उनके प्रति आकर्षित करती है। पहली खासियत रही है कि उन्होंने सामंती समाज में शोषितों को जुबान दी, बोलना सिखाया। दूसरी बात यह है कि सांप्रदायिकता के खिलापफ जोखिम लेकर भी वे डटे रहे हैं, यही उनकी यूएसपी है। लालू प्रसाद कम्युनिकेशन के मास्टर हैं। हमने देखा है कि कुछ नहीं बोलते हुए भी वे बहुत कुछ बोलते हैं–उनकी भौंहें बोलती हैं, उनकी नाक भी बोलती है, उनके कान और कान के बाल भी बोलते हैं। उनकी सबसे बड़ी खासियत है कि वे व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं रखते हैं – अली अनवर (पूर्व सांसद)
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