स्त्रीवाद: विमर्श और अनुशासन (STREEVAD: VIMARSH AUR ANUSHASAN)
₹400.00 ₹320.00
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Pages: 312
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Year: 2017, 1st Ed.
- ISBN: 978-93-87441-06-4
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Binding: paper Back
- (Hardbound: Price: Rs.800, selling Price: Rs. 450)
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Language: Hindi
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Publisher: The Marginalised Publication
Description
यह किताब स्त्रीकाल, स्त्री के समय और सच के एक विशेष-अंक का पुस्तक स्वरूप है. साहित्य, इतिहास, कानून और समाज को स्त्रीवादी नजरिये से मूल्यांकित करते कई महत्वपूर्ण आलेख इसमें संकलित हैं.
स्त्रीवाद किसी भी वर्चस्व के खिलाफ है–धर्म, जाति, वर्ग जेंडर या रेस के आधार पर। सुल्तानाज ड्रीम (रुकैया सखावत हुसैन) के समय से आगे भारतीय स्त्रीवाद ने भी काफी प्रगति कर ली है उलटे क्रम में रुकैया की फंतासियों का वर्तमान में न तो कोई अर्थ है और न जरूरत। यद्यपि 19 वीं शताब्दी में ‘सुल्तानाज ड्रीम की लेखिका की सारी फंतासियां बहुत सहज और स्वाभाविक हैं–पीड़ाजन्य आक्रोश से और क्या उम्मीद की जा सकती है। परंतु आज का स्त्री स्वर समान सह-अस्तित्व की अवधारणा से निर्मित होता है, जो स्त्री को बाहर लाकर पुरुष की रसोई में या बुर्के में धकेलना नहीं चाहता बल्कि यह आकांक्षा रखता है कि स्त्री भी पुरुष की तरह बंधन मुक्त हो, सड़क से सत्ता तक में भागीदार बने, ‘स्त्री का समय’ इन्हीं अर्थों में तय होता है।
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